इश्क एक से हो तो भोलापन है,
दो से हो तो अपनापन है,
तीन से हो तो दीवानापन है,
चार से हो तो पागलपन है,
फिर भी काउंटिंग ना रुके तो कमीनापन है!
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चाँद पर काली घटा छाती तो होगी
सितारों में चमक आती तो होगी
तुम लाख छुपाओ दुनिया से मगर
अकेले में तुम्हें भी अपनी शक्ल पर हँसी आती तो होगी!
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दुनिया से जो डरे, उसे कायर कहते हैं,
दुनिया जिससे डरे, उसे शायर कहते हैं,
और बीवी से जो डरे, उसे शौहर कहते हैं
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अपनी तो मोहब्बत की इतनी कहानी है ,
टूटी हुई कश्ती और तैरता हुआ पानी है,
एक फूल किताब में दम तोड़ चुका है,
मगर कुछ याद नहीं आता यह किसकी निशानी है!
गुरुवार, 30 जुलाई 2009
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